Tuesday, June 8, 2010

कल का भ्रष्टाचार आज का नासूर

                                                               भिलाई नगर निगम के आयुक्त श्री राजेश सुकुमार टोप्पो नें भिलाई को अतिक्रमण से मुक्त कराने का अनूठा प्रयास किए । उन्होने बस्ती की बस्ती अतिक्रमण से हटा दिये और वहां के रहवासियों को दुसरी जगह स्थापित किये । लेकिन इसमें कुछ ऐसी बातें भी हैं जिन्हे लोगों तक पहुंचाना जरूरी है । आज निगम आयुक्त जो कार्यवाही कर रहे हैं उसका क्या कारण है ? मेरे विचार में यह भिलाई को सैटेलाइट सिटी बनाने के प्रयास की शुरूआत हो सकती है । यानि हम एक बेहतर कल की ओर बढ रहे हैं । लेकिन इतने बडे बडे अतिक्रमण कैसे हो गए ? ये मेरे विचार मे नही बल्कि सभी के विचार होना चाहिये कि आखिर इतनी बडी बडी बस्तीयां कैसे बस गईं,  क्या पहले कोई प्रशासन नाम की चीज नही थी ? था .. पहले भी प्रशासन था लेकिन भ्रष्टाचार के आगे सब नतमस्तक हैं । आज निगम आयुक्त कडी कार्यवाही कर रहें हैं लेकिन वे लिंक रोड, केम्प-2 भलाई में कार्यवाही नही कर पाएंगे । कारण --- स्वयं महापौर की अवैध दुकानें वहां मौजूद हैं अब भला प्रशासन क्या करेगा । जो आज हो रहा है वह कल नासूर ना बन जाए इसका हमें ध्यान रखना होगा । आज जवाहर मार्केट, सरकुलर मार्केट, और लिंक रोड में एक भी पार्कींग नही है जबकि यह 50 साल पुराना बाजार है ( भिलाई स्टील प्लांट के लगने के बाद सबसे पहले मजदूरों की घरेलू आवश्यकता के लिये बी.एस.पी. नें इस बाजार के निर्माण की अनुमती दी थी ) तो आज तक यहां कोई सुविधा क्यों नही मिली । श्रीमानजी पार्कींग तो छोडिये पूरे बाजार में एक भी सार्वजनिक नल नही है, सुलभ की सुविधा नही है , सरकारी  अस्पताल 2 किलोमीटर दूर है जबकि स्टेशन इस बाजार से लगा हुआ है । इस बाजार से हम पूरे शहर का हाल सोच सकते हैं कि इसे बसाने में कभी भी किसी भी प्रशासन द्वारा कोई फार्मुला लागू नही किया गया है अब एक अच्छे प्रशासनिक अधिकारी जो जो प्रयास किया जा रहा है आइये हम सब उनका साथ दें ।

6 comments:

  1. अच्छा प्रयास कर रहे हो। समाज से भ्रष्टाचार तो मिटेगा या नहीं, लेकिन इस देश के आम व्यक्ति को जरूर मिटाने के लिये इस देश के कर्णधारों ने कमर कस ली है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भी इस देश को सूखा चबा रहे हैं। इसलिये ये शहरों को तो गन्दा और गाँवों को भद्दा बना रहे हैं, जबकि ये स्वयं इतने गन्दे और भ्रष्ट हैं कि इन्हें समाज में रहने का हक ही नहीं होना चाहिये। जिन लोगों को जेल में होना चाहिये वे ही इस देश के सबसे बडे प्रशासक और जनप्रतिनिधि हैं। इनसे इस देश को मुक्त कराने के लिये देशव्यापीजागरूक जनान्दोलन की सख्त जरूरत है। हम इस दिशा में कुछ करने का प्रयास कर रहे हैं। शुभकामनाओं सहित।-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा निरंकुश, सम्पादक-प्रेसपालिका (जयपुर से प्रकाशित पाक्षिक समाचार-पत्र) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) (जो दिल्ली से देश के सत्रह राज्यों में संचालित है। इस संगठन ने आज तक किसी गैर-सदस्य, या सरकार या अन्य बाहरी किसी भी व्यक्ति से एक पैसा भी अनुदान ग्रहण नहीं किया है। इसमें वर्तमान में ४३२० आजीवन रजिस्टर्ड कार्यकर्ता सेवारत हैं।)। फोन : ०१४१-२२२२२२५ (सायं : ७ से ८) मो. ०९८२८५-०२६६६
    E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in

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  2. स्‍वागत है मिश्रा जी आपका.

    हमर छत्‍तीसगढ़

    आरंभ

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  3. बिल्कुल सही लिखा है। ब्लाग जगत में आपका स्वागत है।

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  4. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  5. आपकी पहली पोस्ट ने ही प्रभावित किया डब्बू जी । ब्लोग्गिंग का वास्तवैक उद्देश्य तो यही है जो आपने अपनी पहली पोस्ट में किया है । आपके ब्लोग का कलेवर भी आकर्षक है । शुभकामनाएं ।

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  6. खुद्दार एवं देशभक्त लोगों का स्वागत है!


    सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले हर व्यक्ति का स्वागत और सम्मान करना प्रत्येक भारतीय नागरिक का नैतिक कर्त्तव्य है। इसलिये हम प्रत्येक सृजनात्कम कार्य करने वाले के प्रशंसक एवं समर्थक हैं, खोखले आदर्श कागजी या अन्तरजाल के घोडे दौडाने से न तो मंजिल मिलती हैं और न बदलाव लाया जा सकता है। बदलाव के लिये नाइंसाफी के खिलाफ संघर्ष ही एक मात्र रास्ता है।

    अतः समाज सेवा या जागरूकता या किसी भी क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को जानना बेहद जरूरी है कि इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम होता जा है। सरकार द्वारा जनता से टेक्स वूसला जाता है, देश का विकास एवं समाज का उत्थान करने के साथ-साथ जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसरों द्वारा इस देश को और देश के लोकतन्त्र को हर तरह से पंगु बना दिया है।

    भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, व्यवहार में लोक स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को भ्रष्टाचार के जरिये डकारना और जनता पर अत्याचार करना प्रशासन ने अपना कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं। ऐसे में, मैं प्रत्येक बुद्धिजीवी, संवेदनशील, सृजनशील, खुद्दार, देशभक्त और देश तथा अपने एवं भावी पीढियों के वर्तमान व भविष्य के प्रति संजीदा व्यक्ति से पूछना चाहता हूँ कि केवल दिखावटी बातें करके और अच्छी-अच्छी बातें लिखकर क्या हम हमारे मकसद में कामयाब हो सकते हैं? हमें समझना होगा कि आज देश में तानाशाही, जासूसी, नक्सलवाद, लूट, आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका एक बडा कारण है, भारतीय प्रशासनिक सेवा के भ्रष्ट अफसरों के हाथ देश की सत्ता का होना।

    शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-”भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान” (बास)- के सत्रह राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से मैं दूसरा सवाल आपके समक्ष यह भी प्रस्तुत कर रहा हूँ कि-सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! क्या हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवक से लोक स्वामी बन बैठे अफसरों) को यों हीं सहते रहेंगे?

    जो भी व्यक्ति इस संगठन से जुडना चाहे उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्त करने के लिये निम्न पते पर लिखें या फोन पर बात करें :
    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा, राष्ट्रीय अध्यक्ष
    भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
    राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
    7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
    फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से मो. 098285-02666
    E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in

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