Sunday, June 20, 2010

रेल में हिजडों का आतंक

                                                           क्या आप नागपूर से सूरत के सफर पर निकल रहे हैं ? फिर तो आपको सावधान रहने की जरूरत है और हां 10 रू के कुछ नोटों को अलग करके जरूर रख लिजियेगा । जैसे ही आप नागपूर से निकल कर भूसावल के पास पहुचेंगे हिजडों ( जिसमें किन्नरों का रूप धर कर कुछ औरत आदमी भी शामिल हो सकते हैं) की फौज जिसमें तकरीबन 10 से 15 सदस्य होंगे आप की बोगी पर हमला बोल देंगे औऱ हर सवारी से 10-10 रूपये की वसूली चालू कर देंगे । अगर आपने दिये तो ठीक वरना अपनी बेइज्जती करवाने को तैय्यार हो जाइये । ये हिजडे पैसे ना देने वाले की जेब में हाथ डालकर पैसे छिन लेते हैं, पैंट फाड कर चड्डी तक खोल देते हैं और इतनी अश्लील हरकते करना शुरू कर देते हैं कि आप अगर शरीफ ना हों तो ठीक वरना ट्रेन से कुद कर मरना ज्यादा पसंद करेंगे ।
                                             मैं कोई कहानी नही सुना रहा बल्कि एक ऐसे आदमी से रूबरू करवा रहा हूँ जो अपनी बेटी को लेने अहमदाबाद गया था । ये हैं भिलाई में संत रविदास नगर के रहवासी समरलाल लांडेकर । इनकी दांये आंख के नीचे ध्यान से देखिये जो कालापन है वह हिजडों के मारने से हुई सूजन है । इस गरीब का कसूर केवल इतना था कि इसनें हिजडों के मांगने पर 10 रूपये नही दिये । आपको लगता होगा कि क्या आदमी है 10 रूपये दे देता तो क्या जाता । लेकिन जनाब कई लोगों के लिये आज भी ये रकम बहुत बडी है फिर एक सवाल ये भी है कि जब हम टिकिट कटाकर ट्रेन में बैठे हैं तो इन्हे पैसे क्यों दें इन्हे ही क्यों जो भिखारी घुमते हैं उन्हे भी क्यों दे ।
                                        समरलाल ने अपने साथ हुए दर्व्यवहार की जानकारी जीआरपी के सिपाही को दी तो वह अनसुना करते हुए हिजडों का पक्ष लेने लगा और उन्हे बेचारा साबित करने पर तुल गया । इनकी मानें तो उस समय अहमदाबाद एक्सप्रेस ठसाठस भरी हुई थी और हिजडे वहां पूरी तरह से राज कर रहे थे । ऐसा नही है कि केवल उसी,ट्रेन में ये सब हो रहा है अब तो हर ट्रेन की यही हालत हो गई है सबसे आश्चर्य की बात तो ये है कि इनकी शिकायतें भी नही लिखी जाती जिससे ये सब मिलीभगत का खेल समझा जा सकता है । तसल्ली तभी होती है जब ट्रेन एक तरफ गुजरात में या फिर छत्तीसगढ राज्य में पहुंचती है तभी ये सब यकायक उतर कर गायब हो जाते हैं ।
                                        ये एक सनसनीखेज खबर भी बन सकती है लेकिन हर किसी को अपनी अपनी पडी है । भला जनरल बोगी में सफर करने वालों के साथ रहना भी कौन पसंद करता है । है ना ?

2 comments:

  1. यह आतंक हर ट्रेन में हो रहा है. हाँ जैसा आपने बताया, इनके इलाके हैं. इनके लिए सरकार क्या कर रही है?

    ReplyDelete
  2. आदरणीय सुब्रहम्यम साहब आपका मेरी पोस्ट में पधारने का धन्यवाद । सर सवाल किसी इलाके का नही और ना ही किसी लोग का सरकार किसके लिये क्या कर रही है इस बात से आम जनता को कोई सरोकार नही होता । जनता केवल ये चाहती है कि जिस सफर पर वह सरकारी सवारी के भरोसे निकली है वह राम भरोसे ना बन जाये औऱ वह अपने घर टुटे फुटे हाल में पहुंचे ।

    ReplyDelete

आपके विचार